1. ऐतिहासिक भूगोल की दिशा में कतिपय महत्वपूर्ण कार्य प्रकाश में आए हैं.2. अंचाल-आंचलिक असुर-आसुरी इतिहास-ऐतिहासिक भूगोल -भौगोलिक 3. भारतीय नगरो, जनपदों आदि के अध्ययन के लिए ऐतिहासिक भूगोल काज्ञान अनिवार्य है. 4. ऐतिहासिक भूगोल -प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक वैदिक, पौराणिक, इंजील संबंधी तथा अरबी भूगोल भी इसके अंग है।5. ऐतिहासिक भूगोल -प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक वैदिक, पौराणिक, इंजील संबंधी तथा अरबी भूगोल भी इसके अंग है।6. कनिंघम लिखित आन्चिएन्ट् घेओग्रप्ह्य् ओङ् ईन्डिअ ऐतिहासिक भूगोल की दिशा मेंप्रथम सराहनीय कार्य है, जो १८७१ ई. 7. ऐतिहासिक भूगोल केप्राचीन भारतीय स्वरूप को परिष्कृत एवं परिमार्जित करने में महत्तमयोगदान देने वाले विद्वानों यथा--एन.8. भ्हट्टच्हरय्य १९७७) के ऐतिहासिक भूगोल पर जोभी कार्य हुए हैं, सभी अपने स्थान पर महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करतेहैं. 9. इस प्रकार ऐतिहासिक भूगोल के स्वरूप के अन्तर्गतभूगोल, इतिहास एवं पुरातत्व का पूर्ण अध्ययन मानव-~ जीवन की घटनाओं सेसम्बन्धित है. 10. उल्लेखनीय है कि उक्त वैदिक ब्राह्मण, उपनिषद् एवं महाकाव्यों तथापुराणों में ऐतिहासिक भूगोल से सम्बन्धित सामग्रियों का अभाव दिखाई देताहै.